संगोष्ठी के माध्यम से जनजातीय जीवन की पहचान दुनिया के सामने आएगी ....
..... प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी (कुलपति)

अमरकंटक-  इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, (म. प्र.) में माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी  के कुशल नेतृत्व में त्रिदिवसीय फोक एंड ट्राइबल एलिमेंन्ट्स इन इंडियन आर्ट विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ 16 फरवरी को हर्षोल्लास के साथ हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ. शिवा कान्त त्रिपाठी के मंगलाचरण पाठ से हुआ। इसके पश्चात अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित किया गया। संगोष्ठी के चेयरमैन प्रसिद्ध कलाविद प्रो. मारुति नन्दन तिवारी ने संबोधित करते हुए कहा कि जनजातीय कला के तत्त्व भारतीय कला में प्रारम्भिक काल से ही दिखलायी देने लगते हैं, जिसे उनके द्वारा उकेरी गयी चित्रकारियों में देखा जा सकता है। प्रो. तिवारी ने कहा कि इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय जनजातीय बहुल क्षेत्र में अवस्थित है जो जनजातीय कला संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन करने में अपनी महती भूमिका का निर्वाह कर रहा है। मुख्य अतिथि प्रो. एल. एस. निगम ने संबोधित करते हुए कहा कि कहा कि जनजातीय कला लोकाश्रित अथवा मुक्त या देशी कला के नाम से जानी जाती है। प्राचीन भारतीय ग्रन्थों से पता चलता है कि शिल्पकार प्राचीन ग्रन्थों से और ग्रन्थकार प्राचीन शिल्पकारों से प्रेरणा लेते थे। आर्ट हिस्ट्री कांग्रेस के पूर्व चेयरमैन प्रो. ए. पी. जामखेड़कर ने वैश्विक कलाओं के संदर्भ में शैल चित्रकारी को एक अलग और विशिष्ट कोटि की कला बताया। संगठन के महासचिव प्रो. डी. एस. सोमशेखर ने अपने उद्बोधन में संगठन के स्थापना काल से अद्यतन उपलब्धियों की रूपरेखा प्रस्तुत किया तथा विश्वविद्यालय द्वारा उक्त राष्ट्रीय संगोष्ठी के दिव्य और भव्य आयोजन हेतु हृदय से आभार प्रकट किया। समाजिक विज्ञान संकाय की डीन प्रो. रन्जू हासिनी साहू ने प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग द्वारा उक्त संगोष्ठी आयोजित कराये जाने की सरहाना की। संगोष्ठी के संयोजक प्रो. आलोक श्रोत्रिय ने संगोष्ठी मे आये हुए अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठी ने जनजातीय कला के विविध पक्षों का उल्लेख करते हुए अतिथियों के प्रति साभार प्रकट किया तथा आशा व्यक्त करते हुए कहा कि इस त्रिदिवसीय समुद्रमंथन से जनजातीय कला के विभिन्न नवीन और विशिष्ट तत्त्व उद्घाटित हो सकेंगे। इस अवसर पर प्रो. अवधेश कुमार शुक्ला, प्रो. शैलेन्द्र सिंह भदौरिया, प्रो. अजय बाघ, प्रो. ए. पी. सिंह, रजिस्ट्रार  प्रो. एन. एस. एच. मूर्ति,  प्रो. जितेन्द्र शर्मा, प्रो. नीती जैन, प्रो. पूनम शर्मा, प्रो. रक्षा सिंह, प्रो. प्रबुद्ध मिश्रा, डॉ शिवा कान्त त्रिपाठी, डॉ जिनेन्द्र कुमार जैन, डॉ. जनार्दन बी., डॉ गोविन्द मिश्रा , डॉ मनोज पाण्डेय, डॉ. हरेराम पाण्डे, डॉ. जितेन्द्र सिंह, डॉ. त्रयम्बक पाण्डेय, डॉ. कीर्ति, नीरज कुमार, संग्राम सिंह, सत्यम दुबे, रजत सिंह, इदित दावा, नागेन्द्र शुक्ला, हेमन्त कुमार, पंकज पेन्ड्रो, ललिता लाहड़ी, शिवांगी सिंह, पूनम तथा बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्रा उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ. मोहन लाल चढ़ार ने दिया और कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनोज कुमार ने किया।